3 जुलाई/पुण्य-तिथि विरक्त सन्त : स्वामी रामसुखदास जी धर्मप्राण भारत में एक से बढ़कर एक विरक्त सन्त एवं महात्माओं ने जन्म लिया है। ऐसे ही सन्तों में शिरोमणि थे परम वीतरागी स्वामी रामसुखदेव जी महाराज। स्वामी जी के जन्म आदि की ठीक तिथि एवं स्थान का प्रायः पता नहीं लगता; क्योंकि इस बारे में उन्होंने पूछने पर भी कभी चर्चा नहीं की। फिर भी जिला बीकानेर (राजस्थान) के किसी गाँव में उनका जन्म 1902 ई. में हुआ था, ऐसा कहा जाता है। उनका बचपन का नाम क्या था, यह भी लोगों को नहीं पता; पर इतना सत्य है कि बाल्यवस्था से ही साधु सन्तों के साथ बैठने में उन्हें बहुत सुख मिलता था। जिस अवस्था में अन्य बच्चे खेलकूद और खाने-पीने में लगे रहते थे, उस समय वे एकान्त में बैठकर साधना करना पसन्द करते थे। बीकानेर में ही उनका सम्पर्क श्री गम्भीरचन्द दुजारी से हुआ। दुजारी जी भाई हनुमानप्रसाद पोद्दार एवं सेठ जयदयाल गोयन्दका के आध्यात्मिक विचारों से बहुत प्रभावित थे। इस प्रकार रामसुखदास जी भी इन महानुभावों के सम्पर्क में आ गये। जब इन महानुभावों ने गोरखपुर में ‘गीता प्रेस’ की स्थापना की, तो रा...
From research paper "Applied Geometry of the Sulba Sutras" by John F. Price The Sulba Sutras, part of the Vedic literature of India,describe many geometrical properties and constructions such as the classical relationship a 2 +b 2 =c 2 between the sides of a right-angle triangle and arithmetical formulas such as calculating the square root of two accurate to five decimal places. Although this article presents some of these constructions,its main purpose is to show how to consider each of the main Sulba SDtras as a finely crafted, integrated manual for the construction of citis or ceremonial platforms. Certain key words, however, suggest that the applications go far beyond this. Paper "Square Roots in the Sulbasutra" by David W. Henderson can be read here . Following are some more relevant links :- http://en.wikipedia.org/wiki/Shulba_Sutras http://www.krishnamurthys.com/kvforp/VK1/History_Maths_Indian_contribution....
सागर में मंदिर और एक अनन्य भक्त का अदम्य साहस लगभग अकेले दम पर अथक प्रयास, दृढ़ता, अदम्य साहस, और औपनिवेशिक उत्पीड़न के बावजूद वाटरलू खाड़ी, मध्य त्रिनिदाद में समुद्र तट से पांच सौ फीट दूर एक मंदिर का निर्माण । एक बंधुवा मजदुर और गरीब भक्त शिवदास साधु हमेशा के लिए अमर बन गए है और प्रेरित कर है एक त्रिनिदादी हिंदू की इच्छाशक्ति एवं दृढ़ मानसिकता को । शिवदास साधु (Siewdass Sadhu) (1903 - 1971 ) अद्वितीय प्रशंसा और भक्ति का उदाहरण देते हैं और त्रिनिदाद में अभी तक हिंदू समाज के सपनों और आकांक्षाओं का प्रतीक हैं। त्रिनिदाद का एक राष्ट्रीय नायक! हमेशा के लिए हमारे मन में शानदार ढंग से याद रहेगा। एक सदी पहले, Bhaarat (भारत), जिसका नाम आज त्रिनिदाद और टोबैगो में हिंदुओं के बीच भय (अंग्रेजो द्वारा बंधुवा मजदुर के रूप में लाने के कारण ) और श्रद्धा (हिन्दुओ की पुण्यभूमि) से भर देता है वहां पर श्री बुद्धराम और श्रीमती बिसुन्दिया के घर 1 जनवरी, 1903 को शिवदास जी का जन्म हुआ था । चार के उम्र में, वह एक नए देश में अपने माता - पिता और दो छोटे भाइयों के ...
From towns in Russia to Gods of Japan, Sanatan Dharma influence can be seen. The following article list all those place outside Bharat. It have place names, historical maps, various photographs of historical sites. Also famous quotes from eminent people. Suvarn Bhumi : Greater India
Comments