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Showing posts from 2014

भारत रत्न महामना मदनमोहन मालवीय

25 दिसम्बर/जन्म-दिवस हिन्दुत्व के आराधक "भारत रत्न" महामना मदनमोहन मालवीय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का नाम आते ही हिन्दुत्व के आराधक पंडित मदनमोहन मालवीय जी की तेजस्वी मू...

Intellectual Warrior: Sitaram Goel

3 दिसम्बर/पुण्य-तिथि                     बौद्धिक योद्धा सीताराम गोयल विदेशी और हिंसा पर आधारित वामपंथी विचारधारा को बौद्धिक धरातल पर चुनौती देने वालों में श्री सीताराम गोयल का नाम प्रमुख है। यद्यपि पहले वे स्वयं कम्यूनिस्ट ही थे; पर उसकी असलियत समझने के बाद उन्होंने उसके विरुद्ध झंडा उठा लिया। इसके साथ ही वे अपनी लेखनी से इस्लाम और ईसाई मिशनरियों के देशघातक षड्यन्त्रों के विरुद्ध भी देश को जाग्रत करते रहे। 16 अक्टूबर, 1921 में जन्मे श्री सीताराम जी मूलतः हरियाणा के निवासी थे। उनकी जीवन-यात्रा नास्तिकता, आर्य समाजी, गांधीवादी और वामंपथी से प्रखर और प्रबुद्ध हिन्दू तक पहुंची। इसमें रामस्वरूप जी की मित्रता ने निर्णायक भूमिका निभाई। इस बारे में उन्होंने एक पुस्तक ‘मैं हिन्दू क्यों बना ?’ भी लिखी। वामपंथ के खोखलेपन को उजागर करने के लिए सीताराम जी ने उसके गढ़ कोलकाता में ‘सोसायटी फाॅर दि डिफेन्स आॅफ फ्रीडम इन एशिया’ नामक मंच तथा ‘प्राची प्रकाशन’ की स्थापना की। 1954 में कोलकाता के पुस्...

Ganesha, Water Pollution and Misplaced Priority.

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This is a guest post by my friend  SimhaNet What a misplaced priority: The daughter of an English Professor eloped to get married without parental consent and left a note on the table "I am runing away with some guy". Both mother and father were upset, but for different reasons. The mother was naturally upset and crying that her daughter ran away with an unknown guy and was certainly worried about her while the professor father was upset and feeling shameful that an English Professor's daughter doesn't know the spelling of the word "running" Similarly, While beef industry is the one the most polluting and leaving footprints of Green House Gases we are worried about Ganesh murties. Global Warming: As per the National Academy of sciences Agriculture accounts for 29% of the total Antrhopogenic (pollution originating from human activity) Green House Gas (GHG) emissions. And 86% of this GHG is coming during the production of the food. And...

Siewdass Sadhu and Temple in the Sea

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सागर में मंदिर और  एक अनन्य भक्त का अदम्य साहस लगभग अकेले दम पर अथक प्रयास, दृढ़ता, अदम्य साहस, और औपनिवेशिक उत्पीड़न के बावजूद वाटरलू खाड़ी, मध्य त्रिनिदाद में समुद्र तट से पांच सौ फीट दूर एक मंदिर का निर्माण ।  एक बंधुवा मजदुर और गरीब भक्त शिवदास साधु हमेशा के लिए अमर बन गए है और प्रेरित कर है एक त्रिनिदादी हिंदू  की इच्छाशक्ति एवं दृढ़ मानसिकता को । शिवदास साधु (Siewdass Sadhu) (1903 - 1971 ) अद्वितीय प्रशंसा और भक्ति का उदाहरण देते हैं और त्रिनिदाद में अभी तक हिंदू समाज के सपनों और आकांक्षाओं का प्रतीक हैं। त्रिनिदाद का एक राष्ट्रीय नायक! हमेशा के लिए हमारे मन में शानदार ढंग से याद रहेगा।  एक सदी पहले, Bhaarat (भारत), जिसका नाम आज त्रिनिदाद और टोबैगो में हिंदुओं के बीच भय (अंग्रेजो द्वारा बंधुवा मजदुर के रूप में लाने के कारण ) और श्रद्धा (हिन्दुओ की पुण्यभूमि) से भर देता है वहां पर श्री बुद्धराम और श्रीमती बिसुन्दिया के घर 1 जनवरी, 1903 को शिवदास जी का जन्म हुआ था ।  चार के उम्र में, वह एक नए देश में अपने माता - पिता और दो छोटे भाइयों के ...

Puranic history and importance of 12 Jyotirlings of Lord Shiva

12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व व महिमा *************************************** भगवान शिव की भक्ति का महीना सावन शुरू हो चुका है। शिवमहापुराण के अनुसार एकमात्र भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं, जो निष्कल व सकल दोनों है...

History behind Guru Poornima

**महर्षि वेदव्यास : भगवान के अवतार गुरुपूर्णिमा पर होता है महर्षि वेदव्यास का पूजन महर्षि वेदव्यास जी भगवान के अवतार हैं, वे अमर हैं। महर्षि व्यास का पूरा नाम कृष्णद्वैपाय...

**परम गुरु--हिन्दू धर्म की गंगा: स्वामी रामकृष्ण परमहंस

**परम गुरु--हिन्दू धर्म की  गंगा स्वामी रामकृष्ण परमहंस गदाधर से सनातन परंपरा की साक्षात प्रतिमूर्ति रामकृष्ण परमहंस बनने तक की साधना पूरी करके दुनिया को चमत्कृत कर देने ...

विरक्त सन्त : स्वामी रामसुखदास जी

3 जुलाई/पुण्य-तिथि विरक्त सन्त    : स्वामी रामसुखदास जी धर्मप्राण भारत में एक से बढ़कर एक विरक्त सन्त एवं महात्माओं ने जन्म लिया है। ऐसे ही सन्तों में शिरोमणि थे परम वीतरागी स्वामी रामसुखदेव जी महाराज। स्वामी जी के जन्म आदि की ठीक तिथि एवं स्थान का प्रायः पता नहीं लगता; क्योंकि इस बारे में उन्होंने पूछने पर भी कभी चर्चा नहीं की। फिर भी जिला बीकानेर (राजस्थान) के किसी गाँव में उनका जन्म 1902 ई. में हुआ था, ऐसा कहा जाता है। उनका बचपन का नाम क्या था, यह भी लोगों को नहीं पता; पर इतना सत्य है कि बाल्यवस्था से ही साधु सन्तों के साथ बैठने में उन्हें बहुत सुख मिलता था। जिस अवस्था में अन्य बच्चे खेलकूद और खाने-पीने में लगे रहते थे, उस समय वे एकान्त में बैठकर साधना करना पसन्द करते थे। बीकानेर में ही उनका सम्पर्क श्री गम्भीरचन्द दुजारी से हुआ। दुजारी जी भाई हनुमानप्रसाद पोद्दार एवं सेठ जयदयाल गोयन्दका के आध्यात्मिक विचारों से बहुत प्रभावित थे। इस प्रकार रामसुखदास जी भी इन महानुभावों के सम्पर्क में आ गये। जब इन महानुभावों ने गोरखपुर में ‘गीता प्रेस’ की स्थापना की, तो रा...