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Showing posts from December, 2014

भारत रत्न महामना मदनमोहन मालवीय

25 दिसम्बर/जन्म-दिवस हिन्दुत्व के आराधक "भारत रत्न" महामना मदनमोहन मालवीय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का नाम आते ही हिन्दुत्व के आराधक पंडित मदनमोहन मालवीय जी की तेजस्वी मूर्ति आँखों के सम्मुख आ जाती है। 25 दिसम्बर, 1861 को इनका जन्म हुआ था। इनके पिता पंडित ब्रजनाथ कथा, प्रवचन और पूजाकर्म से ही अपने परिवार का पालन करते थे। प्राथमिक शिक्षा पूर्णकर मालवीय जी ने संस्कृत तथा अंग्रेजी पढ़ी। निर्धनता के कारण इनकी माताजी ने अपने कंगन गिरवी रखकर इन्हें पढ़ाया। इन्हें यह बात बहुत कष्ट देती थी कि मुसलमान और ईसाई विद्यार्थी तो अपने धर्म के बारे में खूब जानते हैं; पर हिन्दू इस दिशा में कोरे रहते हैं। मालवीय जी संस्कृत में एम.ए. करना चाहते थे; पर आर्थिक विपन्नता के कारण उन्हें अध्यापन करना पड़ा। उ.प्र. में कालाकांकर रियासत के नरेश इनसे बहुत प्रभावित थे। वे ‘हिन्दुस्थान’ नामक समाचार पत्र निकालते थे। उन्होंने मालवीय जी को बुलाकर इसका सम्पादक बना दिया। मालवीय जी इस शर्त पर तैयार हुए कि राजा साहब कभी शराब पीकर उनसे बात नहीं करेंगे। मालवीय जी के सम्पादन में पत्र की सारे भारत में ख्याति हो गय

Intellectual Warrior: Sitaram Goel

3 दिसम्बर/पुण्य-तिथि                     बौद्धिक योद्धा सीताराम गोयल विदेशी और हिंसा पर आधारित वामपंथी विचारधारा को बौद्धिक धरातल पर चुनौती देने वालों में श्री सीताराम गोयल का नाम प्रमुख है। यद्यपि पहले वे स्वयं कम्यूनिस्ट ही थे; पर उसकी असलियत समझने के बाद उन्होंने उसके विरुद्ध झंडा उठा लिया। इसके साथ ही वे अपनी लेखनी से इस्लाम और ईसाई मिशनरियों के देशघातक षड्यन्त्रों के विरुद्ध भी देश को जाग्रत करते रहे। 16 अक्टूबर, 1921 में जन्मे श्री सीताराम जी मूलतः हरियाणा के निवासी थे। उनकी जीवन-यात्रा नास्तिकता, आर्य समाजी, गांधीवादी और वामंपथी से प्रखर और प्रबुद्ध हिन्दू तक पहुंची। इसमें रामस्वरूप जी की मित्रता ने निर्णायक भूमिका निभाई। इस बारे में उन्होंने एक पुस्तक ‘मैं हिन्दू क्यों बना ?’ भी लिखी। वामपंथ के खोखलेपन को उजागर करने के लिए सीताराम जी ने उसके गढ़ कोलकाता में ‘सोसायटी फाॅर दि डिफेन्स आॅफ फ्रीडम इन एशिया’ नामक मंच तथा ‘प्राची प्रकाशन’ की स्थापना की। 1954 में कोलकाता के पुस्तक मेले में उन्होंने अपने वामपंथ विरोधी प्रकाशनों की एक दुकान लगाई। उसके बैनर पर लिखा था - लाल खटमल